(आज कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की १३२ वीं जयंती है. मुंशी प्रेमचंद जी को नमन करते हुए उन्हें ही समर्पित है मेरी यह लघु कथा.)
एक लेखक ,"कुछ पता चला, कि इस बार का हिंदी साहित्य का पुरस्कार किसे मिला?"
दूसरा लेखक ,"हाँ पता चला है कि एक नए लड़के को इस बार का पुरस्कार दिया गया है."
तीसरा लेखक "यह तो हम सभी का एक तरह से अपमान है. एक कम आयु के छोकरे को सम्मानित करके हमारी वरिष्ठता को नजरअंदाज किया गया."
चौथा लेखक "बिल्कुल सही कहा, वरिष्ठ व अनुभवी लेखकों के होते हुए नये लौंडें को ईनाम देना सरासर नाइंसाफी है."
पाँचवा लेखक,"आप सभी की बातों से में भी सहमत हूँ. अभी तो उस बालक को साहित्य का ककहरा सीखना है और उसे उसकी पहली किताब पर ही पुरस्कार दे दिया. तर्क दे रहे हैं बहुत अच्छा लिखता है. दुष्ट कहीं के."
एक युवा लेखक भी चैट में सम्मिलित हो जाता है.
युवा लेखक-"आदरणीय वरिष्ठ साहित्यकारों प्रणाम! मेरे एक प्रश्न का निवारण करें. फेस बुक को बनाने वाले मार्क जुकेरबर्ग की आयु कितनी है?"
उस युवा लेखक को छोड़कर बाकी सभी लेखक अचानक ऑफ़लाइन हो जाते हैं.
क्या बात कही है भाई....
ReplyDeleteआयु का प्रतिभा से क्या लेना देना ?
सटीक उदाहरण
शुक्रिया अंजनी कुमार जी...
ReplyDeleteबहुत सटीक प्रस्तुति...
ReplyDeleteशुक्रिया कैलाश शर्मा जी...
DeleteWah wah re sahity samalochak, sadar biogaste
ReplyDeleteशुक्रिया सिद्धार्थ जी...
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