एक दिन सम्मन की तामील करवाने के लिए उत्तर प्रदेश के गाँव में जाना पड़ा. वह मुस्लिम गाँव था. वहाँ बुजुर्गों से दुआ-सलाम हुई. उन्होंने बड़े स्नेह से मुझे बिठाया और जलपान करवाया. उन्होंने बताया कि उनका पूरा गाँव औरंगजेब के जबरन मुस्लिम बनाये जाने से पहले मेरी ही जाति का था. मैं उनके साथ शाम तक रहा. उस दौरान राजनीतिक चर्चा का दौर चला. बुजुर्गों ने बताया कि सेकुलर दलों के झाँसे में आकर हम मुसलमानों का जीवन बर्बाद हो गया है. हमारे 99% बच्चों को इन सेकुलर दलों ने अपराधी बना डाला है. ये लोग मोदी का इतना विरोध करते हैं, लेकिन जब कभी हम गुजरात में रह रहे अपने रिश्तेदारों से बात करते हैं तो वह बताते हैं वह मोदी के राज्य में समृद्ध हैं और सुख-चैन से रह रहे हैं. ये लोग गोधरा दंगे में मोदी को कई सालों से घसीट रहे हैं. कुछ धूर्त मुसलमानों ने साजिश करके ट्रेन के डिब्बे में कारसेवकों को जिन्दा जला दिया था, उस घटना का गुस्सा जनता ने उन मुसलमानों से लड़कर निकाला था. इसमें मोदी का क्या कसूर था? इसके अलावा इन दंगों में सिर्फ मुसलमान ही नहीं मरे थे, बल्कि हिंदू भी काफी मारे गए थे. उस दंगे के बाद गुजरात में कोई दंगा नहीं हुआ और वह राज्य समृद्ध होता जा रहा है. इन लोगों को गोधरा का दंगा ही याद रहा, लेकिन दिल्ली में हुए काँग्रेस-सिख दंगे को ये भूलने की दवाई खाकर भुला देते हैं, जबकि उसमें किसके इशारे पर सिख क़त्ल किए गए थे, ये बात पूरी दुनिया को मालूम है. हमें सेकुलर दलों ने आखिर दिया क्या है? मुसलमान रेहडी-पटरी वाले, दरी बेचने वाले, कबाड़े का काम करनेवाले और छोटे-मोटे काम कर अपना पेट भरने वाले बनकर रह गए हैं. साजिश के तहत हमारी कौम को शिक्षा से दूर रखा गया है. जामा मस्जिद में रहने वाले हमारे रिश्तेदार बताते हैं कि उनके मकान जर्जर हालत में हो चुके हैं और कभी भी टूट सकते हैं, लेकिन सरकार उनकी मरम्मत करने की इज़ाज़त नहीं देती है.परिवार की आबादी बढ़ती जा रही है, लेकिन रहने को जगह उतनी ही है. मजबूरन उन्हें शिफ्टों में सोना पड़ता है. जो बच्चे दिन में सो लेते हैं वो रात को जागते हैं और रात को इधर-उधर चोरी-चकारी करते फिरते हैं. हमारे आस-पास अच्छे स्कूल नहीं जो बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जा सके. स्कूल इतने दूर हैं, कि बच्चों को वहाँ तक छोड़कर आना और वापस लाना मुसीबत लगती है. इन सेकुलर दलों ने अपने परिवार और अपनी जाति का ही भला किया है और हम मुसलमानों को तो सिर्फ वोट बैंक बनाकर ही रख दिया है. इसलिए इस बार हम मोदी को ही वोट देंगे.
(दिल्ली पुलिस में कार्यरत
एक हवलदार मित्र के मुख से साभार)
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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!