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Thursday, June 14, 2012

शिक्षा पर दुमदार दोहे



विद्यालय है कल खुला, बहुत दिनों के बाद 
अध्यापक  हैं  ले  रहे, पकवानों का   स्वाद 
                             पढ़ाई होगी कल से

कक्षा  कहती  आइये,  लेकर  सब  सामान 
शिक्षक हैं हड़ताल पर, ग्रहण कीजिए ज्ञान 
                            बनाकर हलवा लाना

शिक्षा  चली  देहात   से, लेकर  केवल  पेट 
शहर पहुँच पीने लगी, मदिरा संग सिगरेट 
                           पिता का दिल घायल

बचपन पर बस्ता चढ़ा, हँसी  हो  गई कैद 
पैदल-पैदल  चल पड़ी, फीस  खड़ी मुस्तैद 
                         आज की शिक्षा पद्धति

रचनाकार- श्री शिवानंद सिंह "सहयोगी"









संपर्क- 09412212255

4 comments:

  1. sir
    bahut hi karara vyang.bilkul
    sateek baat likhi hai aapne
    aabhaar
    poonam

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  2. bahut sudar dhang se .... shiksha ka asli rup dikhaya aapne badhaii

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  3. सुन्दर दोहे है.

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  4. शिक्षा चली देहात से ... लेकर खाली पेट ... बहुत सुंदर पंक्तियाँ

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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!