ताकत को
पूजते सभी मिल
सबल यहाँ पर
जय पाता है
जिसमे बल है उसका भय है
जीवन का एहसास करते
सबल दोष से विलग सदा से
तुलसी बाबा यही बताते
पावल जल
मारुत से मिलकर
इसका
परिचय मिल जाता है
मत्स्य न्याय की परंपरा तो
इस जीवन में चिर शास्वत है
जीव, जीव के भोज्य यहाँ
यह शास्त्र विवेचन भी शास्वत है
ऐसे द्वंदों
की दुनिया में
सदा
बलिष्ट विजय पाता है
भृंग कीट का सहज मिलन है
सबने इसे सत्य माना है
अपने जैसा करे किसी को
यही शक्ति का पैमाना है
है सामर्थ्य
अकारण ही जो
निर्बल के
सिर चढ़ जाता है
वीर-भोग्य है वसुंधरा यह
जीवन दर्शन में अंकित है
छोटी घास बड़ी से दबती
झंझाओं में तरु झंकृत है
देख बाढ़ का
कोप स्वयं ही
नरसल
नीचे झुक जाता है.
संपर्क- 09968235647
ATI SUNDAR RACHNA..............WONDERFUL
ReplyDeletenice line sir man prashan ho gya.
ReplyDeleteshabdon ke chunav aur kathya ki maulikta ke liye lakh-lakh badhiyan.............................................................................................................................................rajendra nigam'raj'
ReplyDeletepunjab national bank
ghaziabad
m-9868817323
सुंदर रचना है। बधाई।।।
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