आजकल सभी ओर क्रिकेट के भगवान के २००वे टेस्ट मैच खेलने की चर्चा है. जिसे बीसीसीआई भी बड़े आयोजन के तोर पर ले रही हैं.इसलिए उनके प्रमुखों ने वेस्ट इंडीज का दौरा तक बनवा दिया और साउथ अफ्रीका के पहले से तयशुदा सीरीज को कचरे के डब्बे में डाल दिया. और अपनी पुरानी लड़ाई का बदला भी ले लिया..आप सोचेंगे कि क्रिकेट में हमारा तो साउथ अफ्रीका से तो कोई झगड़ा नहीं है, तो फिर किस लड़ाई का बदला लिया यह लड़ाई है बीसीसीआई चीफ ऍन श्रीनिवासन और साउथ अफ्रीका बोर्ड के प्रमुख अरुण लोगार्ट के बीच वो भी तब की जब लोगार्ट आईसीसी में प्रमुख पद पर थे. तब उनके कुछ फैसलों के कारण यह विवाद शुरू हुआ जिसका खामियाज़ा अब साउथ अफ़्रीकी बोर्ड को भोगना होगा.और एक बड़ा कारण है बीसीसीआई चाहती है कि सचिन तेंदुलकर अपना २००वे टेस्ट मैच के साथ अगर टेस्ट मैच को भी अलविदा कहना चाहते है, तो उनकी शानदार विदाई उन्हें उनके होम ग्राउंड वानखेड़े में दी जाये.वो भी पहले के सभी कायक्रमों को बदल कर, आपको नहीं लगता कि बीसीसीआई को अपने निर्णय पर दोबारा विचार करना चाहिए. क्या आप इसे बीसीसीआई का तानाशाही पूर्ण रवैया नहीं कहेंगे? एक खिलाडी के लिए मैदान का महत्व होना चाहिए या खेल का ज्यादा महत्व होना चाहिए .........मेरे विचार से यह बर्ताव बेहद शर्मनाक है
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