हर बार की तरह इस बार भी उसने फेल होने पर एक नया बहाना बनाया और बड़ी सफाई से अपनी असफलता का ठीकरा परीक्षा के दिनों बिजली की अनुपलब्धता पर फोड़ दिया। बेटे के बहानों से तंग आ चुके पिता ने इस बार डांट-फटकार या मार की अपेक्षा अलग अंदाज़ में केवल इतना ही कहा, कि बेटे! यह बता जिसने बिजली का अविष्कार किया, उसने कौन सी बिजली के उजाले में पढ़ाई की?
इस बात का बेटे पर ऐसा असर हुआ, कि अगली परीक्षा में वह जिले भर में अव्वल आया।
लघु कथाकार: श्री कैलाश 'पर्वत'
दिबियापुर,औरैया, उ. प्र.
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सुमित प्रताप सिंह,
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