***चित्र गूगल बाबा से साभार*** |
लेखिका- संगीता सिंह तोमर
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aisa punya na hi kiya jaye to achcha hai..
ReplyDeleteशुक्रिया! सुषमा जी.
Deleteमानव स्वभाव का एक कटु पहलू...
ReplyDeleteशुक्रिया! कैलाश शर्मा जी.
Deleteयह तो सरासर पाप है पुण्य नहीं.
ReplyDeleteआपका आभार!
Deleteलडडू के साथ साथ मानसिकता भी सड़ गयी है...
ReplyDeleteशुक्रिया!पवन *चंदन* अंकल.
Deleteसंचयवादी सोच पर बहुत सही कटाक्ष किया संगीता जी जब सड़ने लगता है तभी बांटने की सोचते हैं लोग उससे पाले नहीं
ReplyDeleteधन्यवाद वंदना जी.....
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