सादर ब्लॉगस्ते!
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Friday, May 30, 2025
ऑपरेशन सिंदूर: शौर्य,पराक्रम और बदले का संकल्प!
Tuesday, May 20, 2025
हलीम आईना को मिला हिन्दुस्तानी भाषा काव्य प्रतिभा सम्मान
कोटा के प्रखर व्यंग्य कवि हलीम आईना को हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी की ओर से उत्कृष्ट दोहा लेखन के लिए टॉपटेन दोहाकारों में चयनित होने पर 'हिन्दुस्तानी भाषा काव्य प्रतिभा सम्मान' से नवाजा गया। दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी सभागार में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के भव्य समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार देवेन्द्र माँझी थे,अध्यक्षता डॉ.लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने की तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. संजीव कुमार रहे। स्मृति चिन्ह,अंग वस्त्र,लोकार्पित साझा दोहा संकलन 'नावक के तीर' तथा भारतीय भाषा दिवस स्मारिका भेंट कर सम्मान किया।संचालक एवं कार्यक्रम समन्वयक विनोद पाराशर बताया कि हलीम आईना ने समारोह अपने विशिष्ट दोहे सुनाकर ख़ूब तालियाँ बटोरी।उनका एक दोहा ख़ूब सराहा गया-"दुखयारों के दर्द का, हो जिसको अहसास/अदबी दुनिया में वही, फैलाये परकास।"
Tuesday, April 29, 2025
चुरीसिद्ध
ये शब्द पढ़कर आप सभी को कुछ हेरानी हो रही होगी कि ये क्या माज़रा है, क्या ये किसी का नाम है क्या ये किसी स्थान के लिए उपयोग में लाया गया है या किसी की परम्परा का उदाहरण है ये किसी फसल का नाम है या ये किसी स्थान में पाई जाने वाली जड़ी बूटी है मुझे पता है आप ने जो भी अंदाज लगाये होंगे वो इस शीर्षक के आसपास भी नहीं होंगे जाहिर है आपको ये लग रहा होगा में ऐसे कोनसा शीर्षक है जो आप की सोच से परे है,तो एक बात आपको बताऊँ नाम से वैसे ये एक क्रिकेटर का नाम भी लग सकता है याद आया चिर परिचित भारतीय बल्लेबाज और शानदार कमेन्टेटर नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में तो कोई आर्टिकल नहीं लिख रही जिस वजह से मैने ये शीर्षक बनाया पर ये भी बात नहीं है दरअसल आज मैंने आपको एक अलग ही दुनिया की सैर का मूड बनाया जहा आप सभी इस चटपटी और मिठास से परिपूर्ण सैर के बाद आप अवश्य ही मुझे धन्यवाद दोगे अब आप के दिमाग में आएगा कि में तो सिद्धू जी बात करते करते कहा चटपटी और मीठी सैर को बीच में ले आई यकीन मानिए यही सच है ये शीर्षक वाकई दो व्यंजनों से मिलकर बना है दो व्यंजनों से मिलकर ये सिददूचुरी कैसे बना.
तो अब आप के सारे अटकलों को विराम देते हुए में राज़ खोलती हु कि ये एक नाम नहीं है ये दो व्यंजनों को मिलाकर बना एक शब्द है जिसने आपके दिमाग की काफी कसरत करवा दी. ये हिमाचल प्रदेश में शिमला में लोकप्रिय दो व्यंजन है.एक सिड्ड ,दूसरा है चुरी,ये दोनों ही वहाँ लोकप्रियता के सारे रिकार्ड तोड़ रहे जी आप ने सही पढ़ा सिड्ड जिसे हम देसी बाटी का एक अनोखा रूप कहेंगे क्योंकि जब वो आपके आँखों के सामने आएगा तो आपको यही लगेगा जेसे आपके सामने बाटी घी और चटनी के साथ परोसा गया है पर ये भी है हमारे यहाँ तो बाटी दाल भरते के साथ परोसते है, फिर ये कैसी बाटी जो चटनी के साथ क्यों परोस रहे जी हां ये सिड्ड गेंहू और मैदा से बनते है ये एक प्रकार की नमकीन और मीठी रोटी का ही रूप है. इनको भरवा तौर पर बनाया जाता है नमकीन सिड्ड साबुतधनिया,हरीमिर्च,लहसुनकलियाँ,खसखस,अमचुर,जीरा पाउडर ड्राई यीस्ट पाउडर से बनाया जाता है.इसी तरह मीठे सिड्ड में काजू,बादाम,सूरजमुखी के बीज,तरबूज के बीज,किशमिशअलसी,सफ़ेद तिल,और नारियल को उपयोग करते है.इन दोनों तरह सिड्ड को शुद्ध घी के साथ परोसा जाता है,और नमकीन सिददू को शुद्ध घी के साथ हरी धनिया की चटनी पेश करते है, तो ये सिड्डआपके स्वाद में एक नयापन लाते है सिड्ड सर्दियों के मौसम में एक सर्वप्रिय नाश्ते के तौर पर भी जाना जाता है ये स्थानीय निवासियों से ज्यादा सैलानियों को रुचिकर लग रहा है.
अब बात करे चुरी की जो एक मीठी डिश के तौर पर प्रचलित है सिड्ड नमकीन और मीठी दोनों ही रोटी का रूप है वही चुरी रोटी से ही बनी हुई डिश है,जिसमें गेहू का आटा,शुद्ध घी और शक्कर या गुड कुछ भी ले सकते है,इसमें रोटी में घी,गुड या शक्कर मिलाकर उसकी चुरी बनाकर फिर उसमे ड्राई फ्रूट भी डाल सकते जिनसे इसका स्वाद और भी स्वादिष्ट हो जाता है.इन दो के अलावा भी हिमाचलप्रदेश में और भी डिशेज फेमस है,जिनमे बाबरु,अकतोरी,तुद्किया भात,कुल्लू ट्राउट,भे,धाम,मदरा,छागोश्त,मिट्ठा,काले चने का खाटा शामिल है. वैसे तो हिमाचल को देव भूमि कहा जाता है.और जहा देवता खुद वास करते हो वहा के खानपान में विविधता और स्वाद के साथ साथ देवों की कृपा भी मिली होती है.यानिकि इस देव भूमि के हर कोने में आपको एक नया स्वाद नयी रेसेपी के साथ नए अनुभव का संगम देखने को मिलेगा.
उत्कृष्ट कार्य के लिए शोभना सम्मान से विभूषित हुए जन
भैंसिया संग सेल्फी पुस्तक भी का हुआ विमोचन
नई दिल्ली। देश के कई प्रदेशों में रहकर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को शोभना वेलफेयर सोसाइटी करीब 18 साल से शोभना सम्मान से विभूषित करती आ रही है। इसी क्रम में संस्था ने रविवार को नई दिल्ली में
गांधी शांति प्रतिष्ठान में देश के गिने-चुने लोगों को शोभना सम्मान - 2025 प्रदान किया।
समारोह में सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार सुमित प्रताप सिंह की दसवीं पुस्तक 'भैंसिया संग सेल्फी' विद्वजनों ने विमोचन किया।
युवा लेखिका एवं अधिवक्ता संगीता सिंह तोमर के संयोजन तथा शोभना वेलफेयर सोसाइटी के सरंक्षक सुरेश सिंह तोमर के सानिध्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती को माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पण कर किया। यूके फाउंडेशन की टीम
ने मां सरस्वती की वंदना पर नृत्यात्मक प्रस्तुति दी।
समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय हिंदी निदेशालय के सहायक निदेशक व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. दीपक पांडेय थे। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार व आलोचक हरि शंकर राढ़ी एवं पूर्व रक्षा अधिकारी व समाज सेवक अनिल शेखावत उपस्थित रहे। अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार व आलोचक डॉ. रमेश तिवारी ने की। संचालन सुमित प्रताप सिंह ने किया।
सम्मान समारोह में राहुल तोमर को शूटिंग कोचिंग की श्रेणी में, घुगुती जागर टीम को कला की श्रेणी में, मंजू लता लाकड़ा को नर्सिंग सेवा की श्रेणी में, डॉ. नूतन पांडेय को साहित्य की श्रेणी में, सनी गुप्ता को क्रिकेट कोचिंग की श्रेणी में, संजय सिंह चौहान को बॉक्सिंग कोचिंग की श्रेणी में, सचिन गौर को निर्देशन की श्रेणी में, शरद तिवारी को समाजसेवा की श्रेणी में, रश्मि यादव एवं डॉ. कैलाश चंद्र यादव को संयुक्त रूप से शिक्षा की श्रेणी में, विनोद कुमार सिंह को पुलिस सेवा की श्रेणी में, लक्ष्मी जोशी को समाजसेवा की श्रेणी में, नागेश दुबे को पत्रकारिता की श्रेणी में, डॉ. केएस काजल को सामुदायिक सेवा की श्रेणी में, विकास कुमार पासवान को किक बॉक्सिंग कोचिंग की श्रेणी में, आदित्य भारद्वाज को युवा पत्रकारिता की श्रेणी में, राणा बृजेश प्रताप सिंह को विधि सेवा की श्रेणी में एवं वेद प्रकाश शास्त्री को समाजसेवा की श्रेणी में शोभना सम्मान से विभूषित किया गया।