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Friday, May 30, 2025

ऑपरेशन सिंदूर: शौर्य,पराक्रम और बदले का संकल्प!

ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सशस्त्र बलों की अभूतपूर्व सामरिक क्षमता का प्रमाण है। भारतीय वायु सेना, थल सेना और नौसेना ने संयुक्त रूप से पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। मुरिदके, बहावलपुर, सियालकोट, मुजफ्फराबाद और कोटली जैसे क्षेत्रों में सटीक हमले किए गए, जिनमें SCALP क्रूज मिसाइल, हैमर प्रिसिजन-गाइडेड बम और इजरायली ड्रोन जैसे उन्नत हथियारों का उपयोग हुआ। इन हमलों में कम से कम 100 आतंकवादी मारे गए, जिनमें कई शीर्ष कमांडर शामिल थे, जबकि किसी भी नागरिक या पाकिस्तानी सैन्य सुविधा को निशाना नहीं बनाया गया।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत को झकझोर दिया। लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध ‘प्रतिरोध मोर्चा’ ने इस हमले की जिम्मेदारी ली, जिसमें 26 नागरिक, मुख्यतः हिंदू पर्यटक, क्रूरता से मारे गए। इस हमले की बर्बरता ने न केवल भारत की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दी, बल्कि भारतीय संस्कृति के एक पवित्र प्रतीक—सिंदूर—को अपमानित करने का दुस्साहस किया। आतंकियों ने जानबूझकर हिंदू पुरुषों को निशाना बनाया, उनकी पत्नियों को विधवा छोड़कर उनके माथे से सिंदूर मिटाने का कुत्सित प्रयास किया। इसके जवाब में भारत ने 6-7 मई 2025 की रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जो न केवल एक सैन्य कार्रवाई थी, बल्कि भारत की सामरिक दृढ़ता, कूटनीतिक परिपक्वता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन गया। यह आलेख ऑपरेशन सिंदूर के सामरिक, सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक आयामों का विश्लेषण करता है।
आपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र ने नाम संबोधन में देश के सामने आतंकवाद को लेकर सरकार का रुख स्पष्ट किया। उन्होंने साफ कहा कि आज, हर आतंकी, आतंक का हर संगठन जान चुका है कि हमारी बहनों-बेटियों के माथे से सिंदूर हटाने का अंजाम क्या होता है। ऑपरेशन सिंदूर न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है। श्री मोदी ने कहा कि आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा था; इसलिए भारत ने आतंक के मुख्यालय को ही उजाड़ दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि पाकिस्तान की तैयारी सीमा पर वार की थी, लेकिन भारत ने पाकिस्तान के सीने पर वार कर उसके हौंसले पस्त कर दिए।
श्री मोदी ने भारत के कठोर रवैए का उल्लेख करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींच दी है, एक नया पैमाना, न्यू नॉर्मल तय कर दिया है। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर यह युग युद्ध का नहीं है, लेकिन यह युग आतंकवाद का भी नहीं है।
आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह नीति एक बेहतर दुनिया की गारंटी है। उन्होंने फिर दोहराया कि टेरर और टॉक, एक साथ नहीं हो सकते, टेरर और ट्रेड, एक साथ नहीं चल सकते, पानी और खून भी एक साथ नहीं बह सकता। पाकिस्तान के साथ बात होगी, तो आतंकवाद और पीओके पर ही होगी।
ऑपरेशन सिंदूर की योजना और निष्पादन में खुफिया एजेंसियों की भूमिका उल्लेखनीय थी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में तैयार की गई रणनीति ने यह सुनिश्चित किया कि हमले सटीक और न्यूनतम सहायक क्षति (collateral damage) के साथ हों। भारतीय सेना ने पहली बार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में गहरे तक प्रहार किया, जो आतंकी संगठनों के गढ़ माने जाते हैं। यह 1971 के युद्ध के बाद तीनों सेनाओं का सबसे बड़ा संयुक्त अभियान था, जो भारत की ‘घुस के मारेंगे’ नीति को साकार करता है।
ऑपरेशन सिंदूर का नामकरण अपने आप में एक शक्तिशाली सांस्कृतिक और भावनात्मक संदेश है। भारतीय संस्कृति में सिंदूर नारी के सुहाग, सम्मान और सौभाग्य का प्रतीक है। पहलगाम हमले में आतंकियों ने हिंदू पुरुषों को चुन-चुनकर मारा, ताकि उनकी पत्नियों का सिंदूर मिटाया जा सके और भारतीय समाज का मनोबल तोड़ा जाए। इस अपमान के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इस ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ सुझाया, जो पीड़ित विधवाओं और भारतीय नारी शक्ति के प्रति श्रद्धांजलि था।
यह नाम न केवल आतंकियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को दर्शाता है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान को मजबूती से स्थापित करता है। ऑपरेशन की प्रेस ब्रीफिंग में दो महिला सैन्य अधिकारियों—कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह—को शामिल करना भी नारी शक्ति के सम्मान का प्रतीक था। यह कदम भारत की उस नीति को रेखांकित करता है, जिसमें सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक मूल्यों का समन्वय हो।
ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल आतंकी ढांचे को ध्वस्त किया, बल्कि पाकिस्तान पर मनोवैज्ञानिक और कूटनीतिक दबाव भी बनाया। भारत ने सिंधु जल संधि को आतंकवाद से जोड़कर पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को स्पष्ट कर दिया था कि भारत आतंकी ठिकानों पर हमला करेगा और किसी भी जवाबी कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब देगा।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया। ऑपरेशन के बाद भारत ने वैश्विक मंच पर यह स्थापित किया कि पाकिस्तान आतंकवाद का पोषक है। चार दिनों की तनातनी के बाद 10 मई को संघर्षविराम की घोषणा हुई, जिसे भारत की कूटनीतिक जीत माना गया।
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत में अभूतपूर्व एकजुटता को जन्म दिया। सिमडेगा से जैसलमेर तक, चाय की दुकानों से मंदिर-मस्जिदों तक, लोगों ने भारतीय सेना की कार्रवाई की सराहना की। हिन्दू और मुस्लिम समुदाय सहित सभी ने देश की सुरक्षा के लिए दुआएं कीं।
सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी इस मसले पर सरकार का खुलकर समर्थन किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मुद्दे पर लिखा है कि पाकिस्तान और पीओके से पैदा होने वाले आतंकवाद के हर स्वरूप के लिए भारत की एक दृढ़ राष्ट्रीय नीति है। हम पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर सेना के हमले पर गर्व करते हैं। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि हम अपनी सेना पर गर्व करते हैं. जय हिन्द।
वहीं एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मैं हमारी रक्षा सेनाओं द्वारा पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर किए गए लक्षित हमलों का स्वागत करता हूँ. पाकिस्तानी डीप स्टेट को ऐसी सख्त सीख दी जानी चाहिए कि फिर कभी दूसरा पहलगाम न हो. पाकिस्तान के आतंक ढांचे को पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए. जय हिन्द। आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि जय हिंद! जय भारत! न आतंक रहे, न अलगाववाद रहे. हमें अपने वीर जवानों और भारतीय सेना पर गर्व है।
महिलाओं ने इस ऑपरेशन को विशेष रूप से अपने सम्मान से जोड़ा। झारखंड की मनीषा अग्रवाल ने कहा कि सिंदूर का मतलब सिर्फ श्रृंगार नहीं, बलिदान और गर्व भी है। पहलगाम हमले में शहीद शुभम द्विवेदी की पत्नी ने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस ऑपरेशन ने उनके पति की मौत का बदला लिया।
ऑपरेशन सिंदूर भारत के नए युग का प्रतीक है—एक ऐसा भारत जो न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करता है, बल्कि अपनी सांस्कृतिक पहचान को गर्व के साथ प्रस्तुत करता है। यह ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ सैन्य कार्रवाई से कहीं अधिक था; यह भारत की सामरिक परिपक्वता, कूटनीतिक चातुर्य और सामाजिक एकता का प्रदर्शन था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ने भी कहा कि इस ऑपरेशन की धमक रावलपिंडी और इस्लामाबाद तक सुनी गई है।
ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अब आतंक को उसकी भाषा में जवाब देगा। यह न केवल पहलगाम के शहीदों को न्याय दिलाने का माध्यम बना, बल्कि हर उस भारतीय के लिए गर्व का क्षण बन गया, जो अपनी संस्कृति और देश की संप्रभुता को सर्वोपरि मानता है। यह एक ऐसा प्रहार था, जिसने न केवल आतंकी ठिकानों को मिटाया, बल्कि भारत के माथे पर सांस्कृतिक गौरव का सिंदूर और गाढ़ा कर दिया।

Tuesday, May 20, 2025

हलीम आईना को मिला हिन्दुस्तानी भाषा काव्य प्रतिभा सम्मान


   कोटा के प्रखर व्यंग्य कवि हलीम आईना को हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी की ओर से उत्कृष्ट दोहा लेखन के लिए टॉपटेन दोहाकारों में चयनित होने पर 'हिन्दुस्तानी भाषा काव्य प्रतिभा सम्मान' से नवाजा गया। दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी सभागार में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के भव्य समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार देवेन्द्र माँझी थे,अध्यक्षता डॉ.लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने की तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. संजीव कुमार रहे। स्मृति चिन्ह,अंग वस्त्र,लोकार्पित साझा दोहा संकलन 'नावक के तीर' तथा भारतीय भाषा दिवस स्मारिका भेंट कर सम्मान किया।संचालक एवं कार्यक्रम समन्वयक विनोद पाराशर बताया कि हलीम आईना ने समारोह अपने विशिष्ट दोहे सुनाकर ख़ूब तालियाँ बटोरी।उनका एक दोहा ख़ूब सराहा गया-"दुखयारों के दर्द का, हो जिसको अहसास/अदबी दुनिया में वही, फैलाये परकास।"

Tuesday, April 29, 2025

चुरीसिद्ध

 

ये शब्द पढ़कर आप सभी को कुछ हेरानी हो रही होगी कि ये क्या माज़रा है, क्या ये किसी का नाम है क्या ये किसी स्थान के लिए उपयोग में लाया गया है या किसी की  परम्परा का उदाहरण है ये किसी फसल का नाम है या ये किसी स्थान में पाई जाने वाली जड़ी बूटी है मुझे पता है आप ने जो भी अंदाज लगाये होंगे वो इस शीर्षक के आसपास भी नहीं होंगे जाहिर है आपको ये लग रहा होगा में ऐसे कोनसा  शीर्षक है जो आप की सोच से परे है,तो एक बात आपको बताऊँ नाम से वैसे ये एक क्रिकेटर का नाम भी लग सकता है याद आया चिर परिचित भारतीय बल्लेबाज और शानदार कमेन्टेटर नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में तो कोई आर्टिकल नहीं लिख रही जिस वजह से मैने ये शीर्षक बनाया पर ये भी बात नहीं है दरअसल आज मैंने आपको एक अलग ही दुनिया की सैर का मूड बनाया जहा आप सभी इस चटपटी और मिठास से परिपूर्ण सैर के बाद आप अवश्य ही मुझे धन्यवाद दोगे अब आप के दिमाग में आएगा कि में तो सिद्धू जी  बात करते करते कहा चटपटी और मीठी  सैर को बीच में ले आई यकीन मानिए यही सच है ये शीर्षक वाकई दो व्यंजनों से मिलकर बना है दो व्यंजनों से मिलकर ये सिददूचुरी कैसे बना.


तो अब आप के सारे अटकलों को विराम देते हुए में राज़ खोलती हु कि ये एक नाम नहीं है ये दो व्यंजनों को मिलाकर बना एक शब्द है जिसने आपके दिमाग की काफी कसरत करवा दी. ये हिमाचल प्रदेश में शिमला में लोकप्रिय दो व्यंजन है.एक सिड्ड ,दूसरा है चुरी,ये दोनों ही वहाँ लोकप्रियता के सारे रिकार्ड तोड़ रहे जी आप ने सही पढ़ा सिड्ड जिसे हम देसी बाटी का एक अनोखा रूप कहेंगे क्योंकि जब वो आपके आँखों के सामने आएगा तो आपको यही लगेगा जेसे आपके सामने बाटी  घी और चटनी के साथ परोसा गया है पर ये भी है हमारे यहाँ तो बाटी  दाल भरते के साथ परोसते है, फिर ये कैसी  बाटी जो चटनी के साथ क्यों परोस रहे जी हां ये सिड्ड गेंहू और मैदा से बनते है ये एक प्रकार की नमकीन और मीठी रोटी का ही रूप है. इनको भरवा तौर पर बनाया जाता है नमकीन सिड्ड साबुतधनिया,हरीमिर्च,लहसुनकलियाँ,खसखस,अमचुर,जीरा पाउडर ड्राई यीस्ट पाउडर से बनाया जाता है.इसी तरह  मीठे सिड्ड में काजू,बादाम,सूरजमुखी के बीज,तरबूज के बीज,किशमिशअलसी,सफ़ेद तिल,और नारियल को उपयोग करते है.इन दोनों तरह सिड्ड को शुद्ध घी के साथ परोसा जाता है,और नमकीन सिददू को शुद्ध घी के साथ  हरी धनिया की चटनी पेश करते है, तो ये सिड्डआपके स्वाद में एक नयापन लाते है सिड्ड सर्दियों के मौसम में एक सर्वप्रिय नाश्ते के तौर पर भी जाना जाता है ये स्थानीय निवासियों से ज्यादा सैलानियों  को रुचिकर लग रहा है.


अब बात करे चुरी की जो एक मीठी डिश  के तौर पर प्रचलित है सिड्ड नमकीन और मीठी दोनों ही रोटी का रूप है वही चुरी रोटी से ही बनी हुई डिश है,जिसमें गेहू का आटा,शुद्ध घी और शक्कर या गुड कुछ भी ले सकते है,इसमें रोटी में घी,गुड या शक्कर मिलाकर उसकी चुरी बनाकर फिर उसमे ड्राई फ्रूट भी डाल सकते जिनसे इसका स्वाद और भी स्वादिष्ट हो जाता है.इन दो के अलावा भी हिमाचलप्रदेश में और भी डिशेज फेमस है,जिनमे बाबरु,अकतोरी,तुद्किया भात,कुल्लू ट्राउट,भे,धाम,मदरा,छागोश्त,मिट्ठा,काले चने का खाटा शामिल है. वैसे तो हिमाचल को देव भूमि कहा जाता है.और जहा देवता खुद वास करते हो वहा के खानपान में विविधता और स्वाद के साथ साथ देवों की कृपा भी मिली होती है.यानिकि इस देव भूमि के हर कोने में आपको एक नया स्वाद नयी रेसेपी के साथ नए अनुभव का संगम देखने को मिलेगा. 





उत्कृष्ट कार्य के लिए शोभना सम्मान से विभूषित हुए जन

भैंसिया संग सेल्फी पुस्तक भी का हुआ विमोचन

नई दिल्ली। देश के कई प्रदेशों में रहकर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को शोभना वेलफेयर सोसाइटी करीब 18 साल से शोभना सम्मान से विभूषित करती आ रही है। इसी क्रम में संस्था ने रविवार को नई दिल्ली में

गांधी शांति प्रतिष्ठान में देश के गिने-चुने लोगों को शोभना सम्मान - 2025 प्रदान किया।

समारोह में सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार सुमित प्रताप सिंह की दसवीं पुस्तक 'भैंसिया संग सेल्फी' विद्वजनों ने विमोचन किया।

युवा लेखिका एवं अधिवक्ता संगीता सिंह तोमर के संयोजन तथा शोभना वेलफेयर सोसाइटी के सरंक्षक सुरेश सिंह तोमर के सानिध्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती को माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पण कर किया। यूके फाउंडेशन की टीम

ने मां सरस्वती की वंदना पर नृत्यात्मक प्रस्तुति दी।

समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय हिंदी निदेशालय के सहायक निदेशक व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. दीपक पांडेय थे। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार व आलोचक हरि शंकर राढ़ी एवं पूर्व रक्षा अधिकारी व समाज सेवक अनिल शेखावत उपस्थित रहे। अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार व आलोचक डॉ. रमेश तिवारी ने की। संचालन सुमित प्रताप सिंह ने किया।

सम्मान समारोह में राहुल तोमर को शूटिंग कोचिंग की श्रेणी में, घुगुती जागर टीम को कला की श्रेणी में, मंजू लता लाकड़ा को नर्सिंग सेवा की श्रेणी में, डॉ. नूतन पांडेय को साहित्य की श्रेणी में, सनी गुप्ता को क्रिकेट कोचिंग की श्रेणी में, संजय सिंह चौहान को बॉक्सिंग कोचिंग की श्रेणी में, सचिन गौर को निर्देशन की श्रेणी में, शरद तिवारी को समाजसेवा की श्रेणी में, रश्मि यादव एवं डॉ. कैलाश चंद्र यादव को संयुक्त रूप से शिक्षा की श्रेणी में, विनोद कुमार सिंह को पुलिस सेवा की श्रेणी में, लक्ष्मी जोशी को समाजसेवा की श्रेणी में, नागेश दुबे को पत्रकारिता की श्रेणी में, डॉ. केएस काजल को सामुदायिक सेवा की श्रेणी में, विकास कुमार पासवान को किक बॉक्सिंग कोचिंग की श्रेणी में, आदित्य भारद्वाज को युवा पत्रकारिता की श्रेणी में, राणा बृजेश प्रताप सिंह को विधि सेवा की श्रेणी में एवं वेद प्रकाश शास्त्री को समाजसेवा की श्रेणी में शोभना सम्मान से विभूषित किया गया।