सादर ब्लॉगस्ते पर आपका स्वागत है।

Tuesday, May 5, 2015

अपना-अपना प्रेम (लघु कथा)


  क उत्साही पत्रकार दूर-दराज गाँव में अपने न्यूज़ चैनल पर लाइव टेलीकास्ट के माध्यम से मौजूद था
पत्रकार – “जी हाँ इस समय आप देख रहे हैं कि हमारे बगल में एक खेत किसान अपने पूरे परिवार के साथ फाँसी लगाने को तैयार खड़ा हुआ है आइये हम किसान से ही पूछते हैं कि आखिर ऐसा खतरनाक कदम उठाने के लिए ये क्यों विवश हुआ”?
पत्रकार किसान के मुँह पर माइक सटा देता है – “हाँ तो पपुआ क्या आप हमारे चैनल को बताएँगे कि आप अपने पूरे परिवार के साथ फाँसी क्यों लगाने जा रहे हैं”?
पपुआ – “प्रेम के कारण”
पत्रकार – “प्रेम के कारण। क्या बकवास कर रहे हो? तुम तो कह रहे थे कि फसल बर्बाद होने की वजह से फाँसी लगाने जा रहे हो। 
पपुआ – “साब हम अपने खेतों और ज़मीन को अपनी माँ मानते हैं और जितना आपको अपने चैनल की टी.आर.पी. से प्रेम है उससे कहीं ज्यादा प्रेम हम इस माँ से करते हैं फसल बर्बाद होने की वजह से हमारे ऊपर इतना कर्ज़ा चढ़ गया है कि हमारी माँ के नीलाम होने की नौबत आ गयी है और यही हमसे नहीं देखा जाएगा इसलिए हमने फैसला किया था अपनी धरती माँ से बिछुड़कर घुट-घुटके मरने की बजाय फाँसी लगाकर एक बार में ही अपने सारे कष्टों से मुक्त हो जायें

No comments:

Post a Comment

यहाँ तक आएँ हैं तो कुछ न कुछ लिखें
जो लगे अच्छा तो अच्छा
और जो लगे बुरा तो बुरा लिखें
पर कुछ न कुछ तो लिखें...
निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!