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Friday, October 5, 2012

लघु कथा: पुढील स्टेशन

चित्र गूगल बाबा से साभार 
तेज लोकल में मध्यम ध्वनि गूँजी, “पुढील स्टेशन अँधेरी”.
“यार ये पुढील स्टेशन का मतलब पुलिस स्टेशन है क्या”? देव ने अजय से पूछा.
अजय बोला, “पता नहीं यार. मैंने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया”.
तभी उनके बगल में खड़ा एक लड़का बोला, “तुम साला भैया लोग यहाँ बस तो जाता है, लेकिन यहाँ का लैंग्वेज सीखने में तुम्हारा नानी मरता है”.
“ए छोकरा ये बातें नेता लोग के वास्ते ही रहने देने का. उनका धंधा इसी से चलता है. हम लोग एक देश का है और अपन को मिलजुल के रहना माँगता”. वहीं बैठे बुजुर्ग ने उस लड़के को समझाया.
वह लड़का तैश में आ गया और देव का कालर पकड़कर बोला, “बाबा ये लोग यहाँ आकर भीड़ बढ़ाया और हमारा नौकरी छीन लिया. मैं तेरे को बताता है पुढील स्टेशन का मतलब. पुढील स्टेशन का मतलब होता है अगला स्टेशन”. इतना कहकर उसने देव को मारने के लिए अपना हाथ उठाया, लेकिन एक पुलिसवाले ने पीछे से उसका हाथ पकड़ लिया.
पुलिसवाला, “साला टपोरी बाजूवाले डिब्बे में मेरा पर्स मारकर यहाँ लेक्चर पिला रेला है. चल तेरा लेक्चर मैं आराम से सुनेगा”.
उस लड़के को पुलिसवाला ले जाने लगा, तो बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुआ पूछा, “पुढील स्टेशन”?
लोकल के भीतर बैठी भीड़ एक साथ बोली, “पुलिस स्टेशन”.


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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!