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Thursday, April 26, 2012

कविता: आखिर क्यों?


क्यूं पीते हो आखिर तुम शराब,
जब इस पे लिखा है साफ़-साफ़
कि मैं हूँ बहुत ख़राब ,
क्या मिलता है तुमको 
इसको पीने से ,
क्यूं प्यार नहीं है तुमको 

अपने जीने से ,


अपने बारे में न सही, 

अपने कुटुंब की तो सोचो ,
अगर पीकर इसको 

तुम न रहे तो 
वो क्या करेंगे?
कहाँ जायेंगे? 
पीने से पहले सौ बार 

उनके बारे में यह सोचो

कहते हो तुम कि 

मिलती है इससे तुमको राहत,
लेकिन राहत बन जाती है 

तुम्हारी और उनकी आफत ,
हाँ, इस लत को 

छोड़ पाना है बड़ा मुश्किल,,
पर क्या नहीं हो सकता 


यदि मजबूत कर जो दिल

''अमित'' की इस बात को 

मान कर दिल से सोचना
मिलता है क्या-क्या

जिंदगी में फिर देखना
 लेखक- कुंवर अमित सिंह 

4 comments:

  1. सुन्दर कविता.

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  2. बहुत सार्थक प्रस्तुति....

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  3. सदा की भांति बेहतर रचना.

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  4. रोचक और सार्थक कविता

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निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
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