मजबूरियों ने मुझको कुछ इस
तरहा से घेरा
गिरता है जो भी आँसू लेता है
नाम तेरा
दिल
पर मेरे लगा है अरमानों का बसेरा
किसका
करूँ यकीं है सारा जहाँ लुटेरा
किस्मत
का बुझ गया है कुछ यूँ चिराग मेरा
आता
नज़र है मुझको बस दूर तक अँधेरा
सारे
जहाँ की मुझको कोई फिकर नहीं
सब
कुछ है पास मेरे बस एक हमसफर नहीं
ए काश
कोई कर दे गर ये इंतज़ाम मेरा
भूले
कभी ना उसका एहसान दिल ये मेरा
तेरी
जिंदगी में शायद आए वो दिन अज़ीम
पहुँचे
बुलदियों पर एक दिन नसीब तेरा
इसरार अहमद 'अज़ीम'
बदरपुर, नई दिल्ली
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