सादर ब्लॉगस्ते पर आपका स्वागत है।

Friday, October 23, 2015

कविता : रावण तुमको मरना होगा



त्रेता युग में
जब श्री राम ने रावण पर
अंतिम प्रहार किया होगा
तब रावण ने अट्टहास लगा
श्री राम से शायद बोला हो
हे राम सुनो
ये युग है तुम्हारा
सबके हृदय में
बस बसे तुम्हीं हो
इसलिए नहीं टिक पाया
समक्ष तुम्हारे ये रावण
किन्तु द्वापर युग के बाद
आएगा युग कलि का
तब मैं वास करूँगा
हर प्राणी के मन-मस्तिष्क में
तब देखूँगा कि कैसे
कर पाओगे अंत मेरा तुम
सुन वचन रावण के
श्री राम ने शायद 
कुछ ऐसा बोला होगा
हे रावण मुझको है 
विश्वास अपनी संतति पर
जिस भी युग में तुम 
उपजने का यदि 
करोगे साहस तो 
मेरी संतति मेरे रूप को
आत्मसात कर अपने भीतर
करेगी बार-बार
संहार तुम्हारा
हर युग में ही होगा तुमको 
राम के हाथों ही मरना।

लेखक : सुमित प्रताप सिंह

*चित्र गूगल से साभार 

No comments:

Post a Comment

यहाँ तक आएँ हैं तो कुछ न कुछ लिखें
जो लगे अच्छा तो अच्छा
और जो लगे बुरा तो बुरा लिखें
पर कुछ न कुछ तो लिखें...
निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!