सुबहदम हमको जगाता कौन है।
रात होने पर सुलाता कौन है।।
फूल कलियाँ पेड़ पौधे और फ़सल।
इनमे छुप कर लहलहाता कौन है।।
सोचता हूँ चाँद तारे देखकर
इनमें शब् भर झिलमिलाता कौन है।।
जो अभी पैदा हुआ समझे न कुछ।
उसके अंदर मुस्कुराता कौन है।।
उसके अंदर मुस्कुराता कौन है।।
कौन है जो भेजता है मुश्किलें।
और उनके हल सुझाता कौन है।।
और उनके हल सुझाता कौन है।।
भेजकर दुनिया में कुछ दिन के लिए।
हमको फिर वापस बुलाता कौन है।।
हमको फिर वापस बुलाता कौन है।।
दे हुनर तेरे कलम को ए असर।
अज़्मते फ़न से मिलाता कौन है।।
अज़्मते फ़न से मिलाता कौन है।।
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सुमित प्रताप सिंह,
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