पिछले कुछ दिनों से हम सभी पुरस्कारों को लेकर हो रही घोषणाओं के बारे में देख-सुन रहे है.मेरा इशारा अर्जुन पुरस्कारों की ओर है.जहाँ एक बार फिर योग्यता के मापदंडों को दरकिनार करते हुए मनमाने तरीके से नामों का चयन हुआ है.सबसे महत्वपूर्ण राजीव गाँधी खेल रत्न के लिए तो इस बार किसी भी खिलाडी का चयन ही नहीं हुआ.क्या सभी खेलों में कोई भी इस पुरस्कार का हकदार होने की कसौटी पर खरा नही उतरा,या यहाँ भी चयनकर्ताओं ने उपलब्धियों की ओर ध्यान देने से ज़्यादा अपनी बात को सही साबित करने की कोशिश की.एक ही राज्य को ज़्यादा तवज़्ज़ो देना किस मापदंड के तहत सही माना जा सकता है. जब हम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों को सम्मान देने की बात करते है.तो फिर देश में खेल के क्षेत्र में सबसे बड़े सम्मान में खिलाड़ियों के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया हम सभी को और देश को शर्मसार करने वाली बात नहीं है क्या ? शायद हमारी सरकार को भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है ताकि देश की शान में चार चाँद लगाने वालों को भी हम उनके अनुसार सम्मान दे सके.
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