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Monday, April 23, 2012

कविता: अक्षत चन्दन

प्रीत तुम्हारी अक्षत चन्दन , है मनभावन  नेह हमारा .
फिर आना एक बार दोबारा --------------------------.
पहली बार मिले थे  जब तुम , मन उपवन में फूल खिले  थे .
झंझावत  में सहज  सुखानी , स्मृति  को  आधार मिले  थे .
बना रहा स्वप्निल आकर्षण , दिल ने लाखों  बार पुकारा .
फिर आना एक बार दुबारा -----------------------------.
घर महकाया  ऐसे तुमने , जैसे खिली रात की रानी   .
तुमसे जो स्पर्श  कर चुकी , मिटटी भी बन गई निशानी .
झुकी दृष्टि का  मौन  समर्पण , अंतर्मन का बना सहारा .
फिर आना एक बार दोबारा --------------------------.
एक रात देखा था तुम कुछ , दीप्ति बाँध लायी  आँचल में .
जब यह तन्द्रा भंग हुई तो , चाँद  झांकता था बादल में   .
कैसा ये सुमधुर  परिवर्तन , नित्य तुम्हारा रूप निहारा.
फिर आना एक बार दोबारा --------------------------.
संयम  अब कमजोर पड़ रहा , जीवन को आधार  चाहिए .
रूंठ गए क्यों  हमसे प्रियतम , फिर से पहला प्यार चाहिए .
सूना मधुर दृष्टि का  दर्पण , जबसे तुम कर गए इशारा .
फिर आना एक बार दोबारा ----------------------------.
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डॉ. कृष्ण कान्त 'मधुर'
                                 

8 comments:

  1. डॉ. कृष्ण कान्त 'मधुर' जी स्वागत है आपका...
    सुन्दर कविता हेतु शुभकामनाएँ स्वीकारें...

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    1. धन्यवाद सुमितजी गीत भावनात्मक अभिव्यक्ति की कोमल विधा है .
      लेखन तो कठिन है किन्तु आनंद पूरा मिलता है . छंद -प्रबंध , अलंकार
      निरूपण , शब्द व्यवस्था आदि सब मिला कर प्रयास किया है . आपको सुहाया
      तो आत्मा प्रसन्न हुई.

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  2. भावों को अभिनव परवाज़ देता गीत .

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    1. धन्यवाद् वीरू भाई , मित्रों का स्नेह हमारे भावों की पूँजी है बनाये रखियेगा.

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  3. बहुत सुंदर.............

    अनु

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    1. आभार अनु जी , मासूम सी संवेदना है गीत लेखन आपने सुंदर कहा तो हौसला मिला हे.

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  4. इस कोटि की रचनाएं भी कभी कभी ही जन्‍म लेती हैं... सहेज कर रखियेगा, बड़ी सुंदर और मनभावन रचना है।

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    1. पी के शर्मा जी , आपने सहज शब्दों में मेरे गीत की गुणवत्ता को सराहा है , मैं आभारी हूँ आप जैसी चेतना शक्ति भी तो चाहिए काव्य की सच्ची आख्या के लिए .

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